गुरु जी ने बताया कि
🌷कर्मो की गंदकी सबसे पहले आंखों से मन मे जाती है,,,,,,जब तक वो निकलती नही तब तक मन मे चैन नही आता,,,,,,,,,,,,,।
🌷कर्मो का आटा बट्टा नही होता ,,हम सोचे कि 5 गलत कर्म किये तो 5 अच्छे कर्म कर लेंगे तो इसका ये मतलब नही की बुरे कर्म का फल नही मिलेगा ,,,,
अच्छे कर्म का अच्छा और गलत कर्म का गलत फल मिलकर ही रहता है,,,,,,,,,,,।
🌷जैसे उल्टी होने के बाद वापस वो उल्टी मुंह मे थोड़ी डालते है,, नही ना ऐसे ही एक बार जो विकार विषय मन से निकल जाएं वापस मन मे ना आने दे,,,,,,,,,,,,।
🌷दुनिया का आधार ना खुद लो ना किसी को दो , आधार चाहिए तो सिर्फ परमात्मा का लो और दो,,,,,,,,,,।
🌷जैसे लकड़ी में आग छुपी हुई है ऐसे ही विकार भी हमारे अंदर छुपे हुए है,,,,,,,,,।
🌷क्रोध दो मुंही तलवार है, पहले खुद को बाद में दुसरो को जलाती है,,,,,,,,,,,।
🌷ऐस ध कंपनी सो ध कलर,, मतलब हमारा जैसा संग होगा हम पर वैसा ही रंग चढ़ेगा,,,,,,,,,,,,।
🌷शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,,,,,,,,,,,।