गुरु जी ने बताया कि
🎍संसार मे माया का लेन देन होता रहता है, यहाँ गुरु बताते है लेना ना देना मगन रहना, लेना देना आनंद का प्रेम का होना चाहिए,,,,,,,,,,,।
🎍कितने वचन गुरु ज्ञान के सुनते है, लिखते है, बोलते है,,,,,क्या वो वचन जीवन मे लगाएं,,,,,,,,,,,,।
🎍अपने भीतर के द्वेष को क्रोध को,,,,,अहंकार को भस्म कर दे,,,,,,,,,।
🎍डू नथिंग , बी नथिंग्, मतलब ना कुछ करना है ना कुछ बन ना है, मतलब अकर्ता बनकर रहें, मैं नही करता प्रभु शक्ति से हो रहा है,,,,,,,,,,।

🎍कितनी भी समाधि लेलो जब तक निर ईच्छा वाले नही बनेंगें सब व्यर्थ, गुरु हमे निर् ईच्छा वाला बनाते है,,,,,,,,,,,।
🎍गुरु हमे हमारी पसंद का ज्ञान नही देते, बल्कि जिसमे हमारी भलाई होती है वो ही वचन देते है,,,,,,,,,,,।
🎍दुनिया मे अच्छे या बुरे आदमी होते है,,,,गुरु हमे उस से भी ऊपर भगवान बनाते है,,,,,,,,,,।
🎍गुरु जो बताते है उसी बात को जीवन मे लगाना है उसमें अपने मतलब की बात नही मिलानी है,,,,,,,,,,,,।
🎍शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,,,,,,,,,,,।