गुरु जी ने बताया कि
🌻सबको एस इट इस स्वीकार करो,,,मतलब जो जैसा भी है उसको वैसा ही स्वीकार करना है ।
🌻जब तक शरीर साथ दे रहा है सत्संग आते रहिये ,,
ऐसा ना हो कि एक दिन ऐसा ना हो कि मन बहुत हो सत्संग जाने का और शरीर साथ ना दे पाएं ।
🌻ज्ञान तो हमे कहीं भी मिल सकता है,

लेकिन शुद्ध पवित्र वाइब्रेशन हमे सिर्फ गुरु के समक्ष ही मिलते है ।
🌻प्रभु पाने में ना दूरी रहती है ना देरी लगती है, बस सत्संग जीवन मे होना चाहिए ।
🌻हमेंशा गुरु को आगे रखेंगे तो गुरु हमे कभी पीछे नही रहने देंगे ।
🌻अपनी वैल्यू करना सीखें क्योंकि गुरु का बच्चा कभी ” फालतू नही होता ” पालतू होता है ।
🌻अपने आप से आज सवाल करें कि हमारा जीवन ज्ञान मय है या अभी भी कर्म कांड में फसे है ।
🌻शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ ।
सब झगड़े खत्म कर दो, बस हम गुरु के
गुरु हमारा लोग सोचते है,इनके पास तो सब सुख है,तभी ये बात कहते है,पर ऐसा नही है,
जब कुछ नही था,तो भी खुश थे।
*ज्ञानी को बाहर से कोई पहचानता भी नही है,,,,,साधारण वेश में रहता है,
उसको किसी से कोई डर भी नही है,किसी से कुछ चाह भी नही है।
*तुम किसी को अपने बंधन में न बांधो,तो तुमको भी कोई नही बांधेगा।
*तुम अंदर से ब्रेक लगा दो,न मैं किसी का,न कोई मेरा।
*कभी खाना न मिले तो भी सोचना,की व्रत रखा हक भगवान के लिए,,फिर भगवान अपने आप खिलायेगा।
*बुद्ध ने मुर्दा देख कर खुद ,को मुर्दा देख लिया,की ऐसे ही एक दिन मैं भी मरूँगा,मैं भी बूढ़ा हो जाऊंगा,बीमारियां भी घेरेंगी,,
तो उसको वैराग आया, संत को देखा,,तो मन मे ठान लिया, की ऐसी शांति हमे भी चाहिए।
*कोई गुरु भी नही मिला,जंगलों में भटकता रहा,कठिन साधना की,,कई वर्ष बीत गए,भूखा प्यासा एक पेड़ के नीचे गिर गया,तब एक स्त्री ने खीर खिलाई,
तो होश आया,और ज्ञान आया,उसी समय एक गेट हुए निकला,
की वीणा के तार न कसो, न ढीले रखो,,,,तब उसके अंदर आत्मज्ञान प्रकट हुआ।
*हमे अपने को इतना नही कसना है,ना ही ढीला छोड़ना है।
जय गुरुदेव,,शत शत नमन🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹