गुरु जी ने बताया कि
🌹अगर नाटक देखकर आँशु आये तो ये मत समझना कि हमारे अंदर दयाभाव है,,,,इसका मतलब ये हुआ कि हमारे अंदर जीव भाव है,,,,,,,,,।
🌹हाथ कार्य मे और मन राम में रखना है,,,,,,,,,,,।
🌹मधुमक्खी किनारे से शहद खाती है और उड़ जाती है,,,,,ऐसे ही हमे भी संसार मे रहना है लेकिन संसार मे फसना नही,,,,,,,,,,,।
🌹वैराग मतलब ना किसी से द्वेष ना किसी से राग,,,,,,,,,,,।
🌹ज्ञानी की किसी से भी ना दोस्ती होती है ना ही किसी से वैर होता है,,,,,,,,,।
🌹अपनी रचना का ध्यान करेंगे तो निश्चय झूम ही जायेंगे,,,,,,,,,,,।
🌹कुछ भी ना कर पाएं तो कम से कम शुक्राने तो कर ही सकते है,,,,,,,,,।
🌹बाहर बहुत भटक लिए अब गो इन डीप,,,,,मतलब अपने भीतर जाना है,,,,,,,,,,,।
🌹लीला भी प्रभु की रूप भी तो प्रभु का ही है,,,,,,,,,,,।
🌹अंतर्मन से सच्चे बन जाना है,,,,,,,,,।
🌹शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,,,,,,,,,,।
शुकराना मुश्कराना दादाजी का कहना
निगुरे का कोई ठिकाना नहीं होता..प्यार को संजो कर रखो केवल गुरु के लिए..तेल घारा सा केवल मेरे में मन हो..भगgवान ने बोला..
गाँव मे नहर से नली में पानी डालते हैं..उस नली से पानी पेड़ो में पहुँचता है..पर अगर नली बीच में से कट जाए..तो पानी बेकार हो जाता है..ऐसे ही दुनियां के चक्कर मे हमारा प्यार बेकार हो जाता है..
बच्चा माँ के पुरा समर्पित होता है..तो माँ भी उसका पुरा ख्याल रखती है..बच्चा भी पहले माँ से ही जुड़ता है..पर बड़ा हो जाता है..शादी हो जाती है..तो माँ की परवाह नहीं होती है..से होती है कृतघ्नता..पर फिर भी अगर मां से निभाता है तो माँ से दिल से दुआएं निकलती हैं..
पर कोई माँ के अनुसार चलता है तो लोग कहते है लड़का तो ठीक है पर माँ के अनुसार चलता है..तो इसमें बुरा क्या है..जिसने पैदा किया पाला उसके अनुसार चले तो क्या बुराई है..
ऐसे ही पहले गुरु के अनुसार चलते हैं फिर ज्ञान un आता है तो अपने मन के अनुसार चलते हैं..गुरु से दुर हो जाते हैं..
जो लगातार परमात्मा का साथ करता है उसका जीवन बन जाता है..
तो हमें हमेशा गुरु के अनुसार चलना है..अपने मन की नही चलनी है..
गुरु बोलता है
साफ दिल बनो चालाक नहीं बनो..
ज्ञानी का जीवन खुली किताब है..
गुरु बन कर मत बैठ जाना..वाणी अद्वैत की बोलते हैं..पर मन द्वैत में पड़ा है. ऐसा गुरु होगा जिसका तो उसकी उन्नति कैसे होगी..गुरु को समर्पण हो..
हमारा काम है सबको गुरु ले जोड़ना..
हम बीच से अलग हो जाए..मैं कुछ नहीं हुँ ऐसा भाव रखें..है ही भगवान..हमारा अंदर वाला गुरु को भगवान कहता है..
क्योंकि उसने भगवान का पता बताया..गुरु ले यहीं प्रार्थना हो की..
गुण ,ज्ञान ,घ्यान हर लो मेरा..में प्रेम नगर का वासी हुँ..अभिमान मन हर लो मेरा..
गुरु के बच्चे हो..तो गुरु जैसे ही बनोगे..पर गुरु जैसा बनने में बहुत बाघायें आती है..
भक्त क ते हैं कि भगवान मेरी अंत तक निभ जाए..यानि में जीवन तुम्हें कभी छोड़ ना सकुँ..
लहर सागर से उत्पन्न है पर सागर नहीं है..
ये अंतर हमेशा होना चाहिए गुरु से..पुञ भले चार हो जाए पर पिता को एक ही रहेगा..
हम हमेशा परमात्मा से जुड़े रहे..
🌷राजा ने एक सिंक आँगन में लगा दिया..
बोला जो इसको खाली कर देगा उससे अपनी पुञी का विवाह कर दुँगा..कोई खाली नहीं कर पाया..
तो एक लड़के ने सोचा कुछ युक्ति है इसमे..
तो उसने उस सिंक का कनेक्शन काट दिया सागर से..तो तुम्हारा भी कनेक्शन परमात्मा से जुड़ा रहेगा तो भरपुर रहोगे..
तीन का फंसाते हैं..कामिनी, कंचन ,कीर्ति,पर से तीन छुट जाते हैं तीन ‘ स ‘ से..सेवा, सुमिरन, सतसंग,से..
🌷एक गया गुरु के पास..बोला गुरु बनना आसान है..या शिष्य बनना..
बोला गुरु बनना आसान है..कुछ रैसेट भजन ले लो ..बोलना सीख लो..श्लोक बोल लो..बस सतसंग कर लो..
पर शिष्य बनने के लिए सेवा ,सुमिरन, सतसंग ,करना पड़ेगा..मरना मिटना पड़ेगा..
बोला फिर तो मुझे गुरु ही बना दो..तो मन मुड़ना नहीं चाहता..गुरु बनना चाहता है..
तुम सोचो कि तुम अगर बोल भी रहे हो..तो पीछे से शक्ति किसकी है..
तो उस शक्ति को कभी भी भुलोगे को बर्बाद हो जाओगे..
भगवान ले ऐसा प्रेम हो की उसके बिना रह ना पाओ..वो दिन आखिरी दिन हो जिस दिन परमात्मा को भुल जाओ..कृतघ्नता का दोष कभी ना लगे..हमेशा ईश्वर के सुमिरन में रहो..या तो पेय जे परसन या पेय जे पचार या को परमात्मा के दर्शन में रहो या उसके प्रचार में रहो..🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿