गुरु जी ने बताया कि,,,,,,,
🎍तीन व्यक्ति एक जगह पर
पत्थर तोड़ रहे थे,,,,किसी ने
🎍पहले से पूछा क्या कर रहे हो,,,,उसने बताया कि,,,,,
अपनी किस्मत को कूट रहा हु,,,,,,
🎍दूसरे ने बोला,,,,अपने परिवार के जीवन निर्वाह के लिए कर्म कर रहा हु,,,,,,,
🎍तीसरे ने कहा,,,,प्रभु के मंदिर के लिए प्रभु की मूर्ति बना रहा हु,,,,,,
तीनो का कर्म एक ही था,लेकिन भाव अलग,अलग,था,,,हम सोचें हम कोई भी कर्म किस भाव से करते है,बोझ या सेवा समझकर,,,,?,,,,,
🎍जो भी कर्म करें भगवत भाव से करें,,,,वो हमारी भक्ति हो जाएगी,,,,,,,,।
🎍बाहर से तो झुकते है अपने अंतरमन से भी झुकना शुरू कर दे,,,,,,,,।
🎍हम खुश तब रहते है जब हम खुश रहना जानते हो,,,,,,खुश रहना चाहते हैं,,,,,,,,।
🎍हमारी खुशी हमारा आनंद किसी पर आधारित नही होना चाहिए,,,,,,,,।
🎍एक तस्वीर खिंचवाने के लिए कितना सुंदर चेहरा बनाते है,तो हर पल खुश रहने के लिए हम अपना मन सुंदर नही बना सकते,,?,,,,,,,
🎍शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,हरि ॐ,,,,,,,,।
Guru Ji Bhajans
ब्रह्मज्ञानी की इतनी महानता होती है कि उसके समाने बैठकर ही साऱे प्रश्न गुम हो जाते हैं..तुम्हारे पास भी सब शक्तियां हैं..तुम जरा जरा सी बात में अपनी शंति क्यों भंग करते हो..तुम जोर जोर से ताली बजाकर गाओ सब विकार भाग जाएगे ..जैसे चिड़िया उड़ जाती है..
गुरु के वचन परखे हुए हैं..एक एक वचन लाख करोड़ का है..गुरु का वचन मान कर निष्कामी बनो..
ये शरीर भी बेवफा है..इसका कभी यकीन मत करना..ये कब घोखा दे जाए पता नहीं..जरा देर में कोई बिमारी आ जाती है..जरा देर मे हड्डियां टुट जाती हैं.
कोई कुछ भी बोले तुम शांत करो..बोलत बोलत भए विकारा बिन बोलत भए जयकारा..तुम्हारे एक एक वचन का कोई मुल्य करे तब बोलना..वरना मौन में रहो..मौन है सोन..
धर धर लगी आग . एक दुसरे को प्यार नही कर पाते हो..क्या दुनियां है ..क्या जिंदगी है. .
वेदांत माने सफेद चादर ओढ़कर से जाओ..सबको भगवान समझ कर चलो..
🌷एक बोली वो कहते हैं माया मे चलो..आप कहते हैं ज्ञान के अनुसार चलो..दोनों की मान लेते हैं सब ठीक है. तो ऐसा नहीं करो..ऐसे कोई फायदा नहीं होगा..ना इधर के ना उधर के..
गुरु जीवन में आ जाता है तो सब बंघन खुल जाते हैं ..तुम क्या भगवान को बंघन से खोलते हो जेल से आजाद करके..भगवान को भोग लगाकर खुद खा लेते हो..भगवान इतने रुपों में खाता है..पर उसे खिलाते नहीं हो..अपने लिए ही जीते हो. पुजा वाले कमरे में एअरकंड़ीशन लगवा लेते हैं..क्योंकि खुद को सुख लेना है..
भगवान साकार बन कर आता है..तो उसे पहचानते ही नहीं..राम को ही वनवास दे दिया..गुरु के पास कोई आता है तो धर वाले डरते हैं..कि कहीं कुछ दे ना आए..क्योंकि ओर साधु संत लेते हैं..पर यहाँ गुरु देता ही रहता है..उसे तुम्हारे पदार्थों से क्या चाहिए..भगवान ने तुम्हारे लिए सब बनाया है तुम उसे क्या दे सकते हो..खिलाता है जो सारी सृष्टि को उसे कैसे खिलाऊँ में..
भगवान को एक रुपया भी चढ़ाते हो..तो कुछ मांग लेते हो..मन इतना चालाक है..
एक आदमी चढ़ाई नहीं चढ़ पा रहा था..भगवान से कह रहा था में इतने का प्रसाद चढाऊँगा मुझे चढ़ा दो..फिर प्रसाद के रुपये बढ़ता गया..घीरे घीरे ऊपर चढ़ गया..तो बोला में इतना चढ़ा दुँगा तो मेरे पास क्या बचेगा..ओर मुकर गया..बोला ना में चढ़ा ना में चढ़ाऊँ. ये मन इतना चालाक है..भगवान से भी मुकर जाता है..
ब्रह्मज्ञान के लिए तुम्हें कुछ नहीं करना है बस गुरु का संग करना है..उसके अनुसार चलना है..ब्रह्मज्ञान साधन भी गुरु है ओर सिद्घि भी गुरु है..डोरी सोंप के तो देख एक बार..🌹☘☘