गुरु जी ने बताया*—-
🌻कृष्ण खुद भगवान है ..फिर भी मक्खन चुराते हैं..तो गुरु जी ने बताया..कि भगव़ान को क्या जरुरत है मक्खन
चुराने की..वो तो हमें ये संदेश देना चाहते हैं..कि ये शरीर एक मटका है..शरीर रुपी मटके के अंदर मक्खन रुपी
आत्म ज्ञान प्रकट करना है..इसलिअ ये लीला करी भगवान ने..
🌻संसार के विषयों को विष की तरह जानकर छोड़ दो..ज्ञान रुपी मक्खन है वैराग्य रुपी नींव में..वैराग्य रुपी
नींव पक्की होगी तो ज्ञान टिकता है..गुरु माया के विचारों से वैराग्य दिलाते हैं..संसार का सुख हाथ में रेत के
समान है..

🌻सारे तालों की चाबी अगर खो जाए तो वो मास्टर चाबी से खुलता है..ऐसे ही दुनियां में कोई भी मुसीबत
परेशानी समस्या है वो प्रेम रुपी चाबी से हल हो जाएगी..
🌻 84% कर्म आँखों से बनते हैं .इसका मतलब ये नहीं की आँखें बंद करके चलना है..बस किसी की गलती
देखते हुए अनदेखा करना है..सबमें भगवान देखना है..इससे नये कर्म नहीं बनेगें..
🌻बच्चे अगर बाहर खेलने की जिद करते हैं..तो माँ कुंड़ी लगाकर कहती है धर के अंदर भी बहुत खिलौने
हैं..इच्छा खाना दुँगी..ऐसे ही गुरु जी कहते हैं कि हम भी अपने दिमाग में विचारों की कुंड़ी लगा कर..अपने भीतर
आत्म खजाने की खोजना करे..तभी कहा तु भीतर जा..तभी तु तर भी जाएगा..
🌻किसी एक से भी द्वैष रखोगे तो अगला जन्म उसके साथ लेना पड़ेगा..सोचो जिसके साथ एक पल नहीं
बनती उसके साथ पुरा दुसरा जन्म..इसका एक ही सरल उपा़य है बस भगवान देखना शुरु करो.. सबमे भगवान
देखो..ना राग ना द्वैष..सिर्फ सम भाव..
🌻शुक्रराना गुरु का..हरी ॐ🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹🌿🌹