“गुरु की वाणी सुनो,पूरा मन मनाभव होकर सुनो,इधर उधर मन नही दौड़ाओ।
*कई बार लोग ईश्वर की लीला में उलझ जाते है,यहा भी ऐसा होता है,वहां भी ऐसा होता है,,होता तो
सब जगह है,पर हमें वहा से अपना मन हटाना है,,,रिकॉर्ड से सुई हटा लो,जगत से अपना मन हटा
लो,तो कोई बात असर नही करेगी।
*दादाजी की पॉइंट है,,,,शेर अपने शिकार को आधे में नही छोड़ता है,पूरा ही खा जाता है,इसी तरह
से भगवान भी अपने भक्तों को अधूरा नही छोड़ते है,,जो उनकी शरण मे मन मनाभव होकर रहते
है,,,,उन्हें दादा भगवान देहाध्यास के चंगुल से छुड़ा कर जीवन मुक्ति का आनंद दिलाते है।
*तुम जीवनमुक्ति चाहते है या नही,,अगर चाहते हो,तो मन से और माया निकालनी पड़ेगी
*भगवान को घर मे बुलाना होता है,तो पूरी साफ सफाई करते हो,,तब घर मे बुलाते हो।
*वास्तव में तुम्हारे घर से ज्यादा तुम्हारे मन को गुरु की जरूरत है।…हर व्यक्ति कहता है,हमारी झौपड़ी के भाग्य खुल गए,,पर अगर तुम वहां न हो,तो झोपड़ी के भाग्य कैसे खुलेंगे |
जय गुरुदेव,,शत शत नमन🌹🌹🌹
🌷गुरु तो हमे जीवन जीना सिखाते है,,,,जड़ वस्तु भी हमे सिखाती है,,जैसे,,,,
1,🌷घड़ी,,,,सिखाती है,,,,समय पर कार्य करना,,,,,,,।
2,🌷हथौड़ा सिखाता है कि वक़्त पर वार करना,,,,,,।
3,🌷बर्फ सिखाती है,की क्रोध में पिघल जाना,,,,,,।
4,🌷चाकू,,,,सिखाता है कि कार्य मे तेजी लाएं,,,,,,
5,🌷सुई सिखाती है कि मिलझूलकर रहें,,क्योंकि दोनों की वैल्यू एक दुझे के बिना कुछ नही,,,,,,।
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