🙏पूण्य तिथि- बड़े दादा भगवान जी की🙏
🌺दादा भगवान जिन्होंने इस सत्संग की नीव रखी, ये ज्ञान का दीप जलाया, हम सबको प्रकाशित किया. आज जिनकी महफ़िल में हम सब बैठे है, वो हमारे फाउंडर है. जिनके द्वारा कई वर्षो पहले ये ज्ञान यज्ञ शुरू हुआ, आज आपकी पूण्य तिथि है.*
🌺हम सबको ये जानना जरुरी है कि कैसे इस सत्संग की शुरुआत हुई. किस तरह सब जगह इसका विस्तार हुआ, और उसके पीछे कौन है? जिनकी बदौलत आज हम सब इतने सुख से बैठे है, आज ज्ञानमय जीवन बनाके सब उसका आनंद ले रहे है. इसके पीछे बहुत तपस्या हुई है हमारे गुरुजनो की.
🌺आरती की थाली लास्ट तक पहुचती है, सब उसकी ज्योत को नमन करते है, लेकिन शुरुआत तो पुजारी ने ही की. ऐसे ही ये सत्संग हॉल है, जिसकी छात्र-छाया में हम सब सुख से बैठे है. पर इसकी नीव को कभी याद किया? कभी भी उस फाउंडर को ना भूले जिसके द्वारा इतना बड़ा यज्ञ चल रहा है.
🌺क्राइस्ट की बात चल रही थी.
उनका ज्ञान इतना फैला तभी सारी दुनियां उनको पूजती है, २५ दिसम्बर उनका दिन बड़े धूमधाम से पूरी दुनियां मनाती है. तो जिसकी वजह से आज हम शांत, प्रसन्न, स्थिर हुए, अपने निश्चय में आने लगे, उसको हम भूल जाते है? शल कभी भी वो दिन भी ना भूले, जिस वक्त ये सुन्दर अवसर आया होगा- जब दादा जी आये होंगे. उनकी भी लीला हुई सिंध पाकिस्तान में. बहुत ही संस्कारी परिवार में जन्म हुआ.

🌺 दादा जी बचपन से ही बहुत उदार, प्यार वाले थे. बहुत तेज दिमाग था. राजसी और सात्विक दोनों गुण थे. राजसी माना जो बहुत शौकीन, राजसी ठाट बाट वाले ऊँचे शौंक थे. best से best चीज मार्किट में मिलती थी, तो वो ले आते थे. फिर सात्विक प्रवृति में उदारता इतनी की अगर वो चीज किसी को ज्यादा पसंद आ गयी तो उसे दे देते थे.
🌺दादा जी ने गुरु मिलने से पहले कपडे और हीरों का व्यापर किया.
ग्राहक को best चीज लाकर देते थे. घर में भी सबसे बहुत प्यार था. ६ बच्चे थे दादा के सभी धार्मिक थे, सभी अपने-२ तरीके से भक्ति करते थे, उनमे एक हमारे अवतार गीता भगवान हुए.
कहते है जिस समय गीता भगवान का प्रगटीकरण हुआ उस समय दादा जी को व्यापर में बहुत बड़ा loss हुआ. ये बहुत बड़ा झटका था जीवन का, जिसमे एक भलाई हो गयी. उनकी मुलाकात गुरु से हुई. जीवन की कठिन परिस्थिति में पता चला कौन अपने है और कौन पराये. जीवन के धोके धक्के उन्हें वैराग्य व्रती की और ले गए.

🌺दादा जी भी एक साधारण जीवन जिए जिसमे उन्होंने भी खट्टे-मीठे अनुभव लिए, उसके कारन ही उनके अंदर होश आया, विवेक खुलने लगा. ऐसे समय में एक दोस्त ने जो उनका रिश्तेदार भी था लाल जी महाराज की और प्रेरित किया. लाल जी महाराज गुजरात के एक बहुत महान संत थे. जब दादा जी वहां पहुंचे उस समय वे चालीस वर्ष के थे,
उनके जीवन का ये सुन्दर मोड़ था.
गुरु ने वाणी में कहा-“यहाँ तन मन धन समर्पित करना होता है. दादा के अंदर संशय आया “क्या ये सब ले जाता है”. उस समय गुरु भाव तो था नही, उन्होंने ऐसा सोचा ही था कि गुरु ने बोला -“तेरे अंदर पाप है”. ऐसा सुनते ही दादा जी सिहर गए, बोला “अगर कोई सच्चा गुरु है तो यही है, इसने मेरे अंदर की बात पकड़ी है. और उसके बाद दादा जी समर्पित होते चले गए.

🌺दादा जी को गुरु से बेहद प्रेम हो गया- सुबह गुरु से मिलना है पर रात भर की जुदाई भी सहन नही होती थी, रात भर रोते और वाणी के अनुसार रोज भजन बनाकर गुरु को सुनाते थे. गुरु भी भावविभोर हो जाते – बहुत आशीर्वाद निकलते थे दादा के लिए. दादा जी श्रेष्ठ शिष्य बने और गुरु ने भी कोई कमी नही छोड़ी उन्हें आप समान बनाने में.
🌺दादा जी को एक साल गुरु का साथ मिला फिर आखिर उन्हें गुजरात वापस आना था.
जाते-जाते गुरु ने आशीर्वाद दिया “मंघन तू मेरे को झुका है, सारी दुनियां तेरे को झुकेगी” दादा जी ने आत्मिक प्रेम से और सेवा से गुरु का दिल जीत लिया था
🌷गुरु के चले जाने के बाद दादाजी ने अपने को एक कमरे में कैद करके पुरे १४-१५ साल तक वेदो का, शास्त्रों का अध्ययन किया और उनका निचोड़ निकाला, डायरियां बनाई. जैसे राम जी का १४ वर्ष का वनवास था, ऐसा ही दादाजी का जीवन रहा.

🌷उस समय दादा जी को जो सबसे ज्यादा कष्ट लगता था वो पीड़ित स्त्रियों को देखकर लगता था. उन दिनों उन पर बहुत अत्याचार होते थे.
एक बार दादाजी के पास कोई आया परेशान होकर दादाजी से बात करी अगले दिन बहुत खुश होकर आया- ऐसे ही २-३ बातें हुई तो दादा को लगा इस ज्ञान की सबको जरुरत है, इस तरह दादाजी को प्रेरणा मिली की ये जीवन सर्व के लिए हो, और उनका जीवन निष्कामी हो गया.
🌷दादा जी को लगा आज दुनियां में कितने दुःख है-अगर वो अपने को आत्मा करके जाने, अपने स्वरुप की पहचान करे तो कितने खुशहाल हो जायेंगे. अगर एक नारी ज्ञान सुन लेगी, समझ लेगी तो उसके जीवन से कितनो को लाभ होगा, पूरा परिवार बन जायेगा. और एक-एक परिवार से पूरा विश्व बन जायेगा.
🌷दादा जी ने देखा उन औरतो के जीवन में परेशानियां बहुत है, ऐसे ही कोई ज्ञान नही सुनेगा. इसलिए उन्होंने उनके लिए social work भी किया. जाकर उनके दुखड़े सुने, हमदर्दी वाला हाथ दिया. पैसे की कमी थी तो बोला तुम लिफाफे, खींचे, पापड़, बनाओ मैं बेच आऊंगा. किसी का तो कोर्ट में जाकर केस भी लड़ा. जब सबके लिए ऐसे कार्य किया तो सबने दादा बोलना शुरू किया, दादा माना बड़ा भाई.
🌷 दादा जी का जीवन हमारे लिए आदर्श है, वो कैसे साधारण गृहस्थ से ही चले और उनकी यात्रा अध्यात्म की और बढ़ी कितनी बातें आई होंगी.
उन दिनों कोई मर्द औरत से बात करता था तो बुरा माना जाता था. लोगो ने उन्हें बदनाम किया, CID करना शुरू किया. किसी ने तो गमला फ़ेंक कर मारने की कोशिश करी. ऐसे ही बहुत सारी बातें दादाजी के जीवन में आई.
🌷 जैसे बिज़नेस में उनको शौंक था कि ग्राहक खुश होकर जाये, ऐसे ही अध्यात्म में रहा की सामने वाले को ऐसी कौन सी बात बताये जो वो खुश होकर जाये. सबके चेहरे पर प्रसन्नता हो ख़ुशी हो, दादा ना कोई उदास हो.
🌷 एक ने बोला दादा मेरे बेटे का शरीर शांत हो गया-खूब जोश किया कि अमानत को अपना समझा ही क्यों. कभी-२ जोश करके होश में लाते तो कभी प्यार से. ब्रह्मज्ञानी को पता है सामने वाला कैसे मानेगा, और किस तरह से उसे शक्ति मिलेगी.
🌷 दादा के दिल में सबके लिए प्रेम और करुणा थी, ना दिन देखते ना रात, ना बारिश किसी का पता चलता तो वहां ट्रैन बदल-बदल के भी जाते. एक को कैंसर था, मृत्यु शैया पर था. दादा को पता चला तो २ ट्रैन बदल कर रोज उसके पास जाते ज्ञान सुनाने. उसकी पत्नी भी ज्ञान सुनती थी. खाने के समय दादा जी चले जाते फिर वापस आ जाते थे.
ऐसा कई दिनों तक चला. जब पति का शरीर शांत हुआ तो बोला दादा आये ही नही-उनका तो काम पूरा हो चूका था उसे मुक्त कर दिया. जब बाद में पता किया तो मालूम हुआ की वो तो बहुत दूर से आते थे. उनकी आँखों में आंसू आ गए की हमने तो कभी पानी भी नही पूछा, वो भूखा, प्यासा इतनी दूर से आता था. फिर वो पूछते-२ दादा के पास पहुंची जाके पश्चाताप किया की मैंने तो कभी आपको पूछा ही नही. आज जो मैं खड़ी हूँ तो आपके ज्ञान से. उसके बाद वो जकार्ता चली गयी, वहां सत्संग शुरू किया.
🌷ऐसे ही एक-एक से मेहनत हुई है. ये निष्काम सेवा की बड़ाई है-माउथ to माउथ पंहुचा है. दादा के सत्संग की ये खासियत है यहाँ कोई बैनर्स नही है, कोई पब्लिसिटी नही है. एक से एक तक पंहुचा है. और एक खास बात यहाँ रोज २ टाइम का सत्संग होता है. बिना पब्लिसिटी के रोज इतनी संगत आना, बहुत बड़ी बात है. ऐसा कहीं नही है.
🌷दादा जी ने चल तीर्थ बनकर कितनो को खड़ा किया, तृप्त किया. ऐसे ही एक से एक चैन जुड़ती गयी. ऐसे मसीहा को शत-शत नमन.