गुरु जी ने बताया कि,,,,,,,
🌹रोज सुबह उठकर मन को यह विचार दो की मैं स्वस्थ हु,,,,मैं पवित्र हु,,,,मैं सुखी हु,,,,,,,,।
🌹कभी मन मे ये संसय आ जाये कि इतना ज्ञान सुन ने के बाद भी मन को शांति नही मिल रही,
हमारी उन्नति क्यों नही हो रही,,तो गुरु जी कहते है कि एक चक्कर संसार का लगाकर आना फिर अपनी स्थिति
देखना पता चल जाएगा हमारी स्थिति कितनी अच्छी है उन लोगो से,,,,,,,,,।
🌹कभी अपनी दौलत का सुविधाओ का अभिमान होने लगे तो देखना अगर आप 30 लोगो से अमीर हो तो
70 लोग आपसे ज्यादा अमीर है,,,,,इस लिए शांत और सरल रहें,,,,,,,,,।
🌹अपनी नकारात्मक बुद्धि को सकारात्मक करते चले,,,,,,,,।
🌹किसी को भी कुछ तोहफ़ा देने का मन हो तो ज्ञान का ,प्रेम का तोहफ़ा दे जिस से उसका जीवन बन जाएं,,,,,,,।

🌹मन के नौकर नही मन के मालिक बने,,,,,,,,,।
🌹मैं कुछ त्याग कर रहा हु,,,इस त्याग के अहंकार का भी त्याग कर दो,,,,,,,,।
🌹संसारी रास्ते के पत्थर से ठोकर खाता है,,,,ज्ञानी उस पत्थर को सीढ़ी बनाकर आगे बढ़ जाता है,,,,,,,,,।
🌹शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,,,,,,,,।