guru vaani 6 june : तुमने अपनी इच्छा से जाल बनाया ओर उसमें फंस गए..जब बोलोगे में मुआ खुद खुदा हुआ..
गीता भगवान कहते थे कि धर में ऐसे रहो कि पड़ोसी भी पुछे इस धर में कोई रहता भी है या
नहीं..भागने से छुटकारा नहीं
जहाँ बैठे हो वहाँ शरीर की आवश्कताएँ तो पुरी हो ही रही है..पर वहाँ भी बैठे हो तो एक दुसरे से
भीख मांग रहे हो..भगवान से मांगाेगे तो फंसना पड़ेगा..
🌷नामदेव ने मांगा घोड़ा मिली बछिया..तो उसे ही ढ़ोता रहा..तुम एक मोह के कारण कितने फंसते

हो..दुनिया भर को सुघारने से कोई फायदा होने वाला नही..सुघारना है तो अपने को सुघारो..
सुकंदर के पास इतनी माया थी फिर भी प्यासा मारा..बोला था .. तुम्हारे सर पर सोने का छञ
होगा..चाँदी की चादर नीचे होगी..पर मृत्यु से नहीं बचोगे..
दादा ने बोला मनी इज युज लेस..पैसा तुम्हे मृत्यु के मुख से नहीं बचा सकता..भगवान बराबर रखता
है..एक तरफ पैदा होते हैं एक तरफ मर भी रहे हैं..
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सिंकदर ने सोचा में मरुँ नही..तो किसी ने कहा इस तालाब का पानी पी लो..दब पीने चला..तो
आवाज आई..कि मत पीना..नहीं तो मेरे जैसी दशा होगी..ना में मर रहा हु ना ही हिल पा रहा हुँ..तो
संत से बोला में जवान रहुँ. .ओर मरुँ भी नही..संत ने कहा उस पेड़ के फल खा लो..वहाँ गया तोे
देखा सब लाठी ड़डों से लड़ रहे हैं..बोला ये क्युँ लड़ रहे हैं..बोला ये सब नाना दादा परदादा है..जो
मरे नही जायदाद के लिए लड़ रहे हैं..तो राजा बोला अब संत के पास नहीं जाऊँगा..फिर कहीं कुछ
बता देगा.
Guru vaani 6 june
तुम भी गुरु के पास से भाग जाते हो..कि कहीं गुरु वैराग ना दिला दे..तृष्णा का कंसा तेरा हरदम
खाली है तु झुठी आशा के द्वारे का सवाली है..इस तृष्णा ने तुझे गुलाम बना रखा है..मन के कहने पर
चलते हो..गुरु कहता है कुछ तो सोचो विचारो..कब तक इस जंजाल में फंसे रहोगे..कब तक माया
के सुख लोगे..अभी तक फंसते जा रहे हो तो छुटोगे कब..
शास्ञों में लिखा है 50 साल में वानप्रस्थ.. पर तुम अभी तक फंसे पड़े हो..गुरु कहता है..आवर
काज तेरे किते ना काम.. मिल साघ संगत भज केवल नाम..
तुम्हारी जिंदगी की फिल्म एकसघंटे में पुरी हो जाएगी..वही शादी वही बच्चे..फिर कोई मरा कोई
जीआ ..पर ज्ञानी की कहानी तो ऐसी है जो युगो युगो तक गाई जाती है. .
तुम्हारा अपना ख्याल ना दुखी करे ..तो तुम्हें कोई दुखी नहीं कर सकता ..दादा बोलते थे मुसीबत
तब आती है जब तुम बुलाते
शिव में सर में गंगा बहती है. .डाक्टर भी कहते है अपने सिर को ठड़ा रखो ..पर तुम्हारा सोचना
बंद नहीं होता..सुचना भी बंद नहीं होती है..नींद भी नहीं आती है क्योंकि दुनियां भर की चिंता लेकर
बैठे

छिपकली छत से चिपकी थी..बोली में हटुँगी तो छत गिर जाएगी ..तुम भी धर में ऐसे ही चिपके रहते
हो..शोर भी इतना मचाते हो की शंति नहीं रख पाते..मौन नहीं आती है..
जो तुम्हारा अपना स्वरुप है..वो तो याद दिलाना पड़ती है..पर जो मिथ्य़ा है वो हमेशा याद रहता है.
जो दिसे सो सकल विनाशी..गुरु नानक ने कहा हरी ते हरी जस मांगन..मांगन मरन सामान..
परमात्मा से केवल एक चीज मांगना कि हे भगवान में हमेशा तेरा गुणगान गाता रहुँ..🌿🌹🌿🌹🌿🌹