गुरु जी ने बताया कि,,,,,,,
🌹जिस बैंक में हमारा एकाउंट होता है,हमारा चेक भी वहीं चेलगा,ऐसे ही जिसका हमारे साथ हिसाब किताब वो ही हमे सुख या तक़लीफ़ देता है,,,,,,,।
🌹एक बार एज चींटी ने दूसरी चींटी को चीनी खाने बुलाया,वो आ गई चीनी खाने,
लेकिन खुश नही हुई,पूछा क्या हुआ तो बोली मुझे चीनी का कोई स्वाद नही आ रहा,पहली चींटी ने उसका मुँह खोलकर देखा,

तो पता चला कि दूसरी चींटी अपने मुँह में अपने घर से नमक की ढेली फसाकर आई थी तभी चीनी का आनंद नही ले पा रही थी,
ऐसे ही हमे भी गुरु सत्संग के लिए बुलाते है,आनंद के लिए हम भी अपने मन मे माया,संसार की बातें लेकर जाते है,
तभी ज्ञान से शांति नही पाते ,पहले मुँह से नमक की ढेली, मन से माया निकालेंगे,तभी जीवन आनंद मय होगा,,,,,,,।
🌹जीवन मे शीतलता इस लिए नही आती क्योंकि तल तक मतलब बात की गहराई में नही जाते,,,,,,,,,।
🌹बादाम को पानी मे भिगोकर निश्चिन्त हो जाते है ना, ऐसे ही खुद को भी ज्ञान के गुरु के वचनों में भिगोकर रखेंगे तभी देह अध्यास का छिलका उतर जाएगा,,,,,,,,।
🌹किसी एक से द्वेष या मोह हमे अपने पद से गिराने के लिए काफी है,,,,,,,,,।
🌹हमारा कुछ नही हमारे लिए है,इस्तेमाल करें और दूसरों को भी करने दे,,,,,,,,।
🌹क्रोध एक ऐसी अग्नि है जो पहले खुद को बाद में दुसरो को जलाती है,,,,,,,,।
🌹आगर मेरा बोलने का शौक है तो प्रभु को मेरा बोलो,,,,,,,,।
🌹शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,,,,,,,,,।