guru vaani 8 april – गुरु जी ने बताया कि,,,,,,,,🌹संसार का प्रेम स्वार्थ का ,प्रभु का प्रेम निस्वार्थ होता है,,,,,,,।
🌹शरीर का इंद्रियों का सुख हमे प्रभु मार्ग से दूर करता है,शरीर आधार चाहता है,एक दूसरे से प्रेम मांगते रहते है,प्रभु स्वयंम में स्थित करते है यहां वहां नही भटकाते,,,,,,,।
🌹विसय सुख तो जानवर भी लेते है,इंद्र भी सुखी नही,वो ही सुखी है जिसने प्रभु की शरण ली है,,,,,,,।
🌹गुरु ने हमे वो परम पद दिया जो इंद्र के पास भी नही वो परम पद गुरु ने हमको दिया है,,,,,,,।
🌹हम अगर सर्वत्र अच्छा देखेंगे तो अच्छा हो जाएगा,,,,जैसी दृष्टि वैसी सृस्टि,,,,,,,।
🌹अपनी चाहना की बीमारी को खत्म करदो,,,,,,,।
🌹ज्ञानी जितना भी जीवन जीता है तृप्त होकर जीता है,,,,,,,।
🌹कोई मुझसे खुश रहें ये आशा भी मत रखो,,,,,,।
🌹कोई बुरा नही भले मन के वास्ते,,,,जो अच्छा होता है उसको कोई बुरा नही दिखता,,,,,,,।
🌹खुश रहना अपना स्वभाव बनालो,,,,ज्ञानी हर पल मस्त होता है,,,,,,,।
🌹शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,,,,,,,।
guru vaani 8 april
निकट जाने पर कुछ चीजें बगैर मांगे मिल जाती है,
जैसे –
नदी के पास जाने पर शीतलता,
अग्नि के पास जाने पर गरमाहट और फुल के पास जाने पर सुगंध।
तो फिर………

भगवान् से मांगने की क्या जरूरत है, बस आप तो केवल उससे निकटता बनाइये, सब कुछ बिन मांगें मिलना शुरू हो जायेगा।
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शरीर में कोई सुन्दरता नहीं है
सुन्दर होते हैं
व्यक्ति के कर्म, उसके विचार
उसकी वाणी, उसका व्यवहार
उसके संस्कार
और उसका चरित्र !
जिसके जीवन में यह सब है वही इंसान दुनियां का सबसे सुंदर शख्स है।
मेरे मालिक
🌹आस्था तुम्हीं से है।
वास्ता तुम्हीं से है..!!
ज़िन्दगी को महकाने वाला।,
हर एक रास्ता तुम्हीं से है….!!!!
नफरत करके क्यों बढ़ाते हो अहमियत किसी की,..
माफ करके शर्मिंदा करने का तरीका भी तो कुछ बुरा नहीं..!!