Guru vaani 9 June 2019 : दूसरा देखना ही नर्क है। सिक्का साहब की पत्नी ने कहा कि जब उनके बेटे का शरीर शांत हुआ,
तब उन्होंने कहा कि जैसे मेरा बेटा कूद रहा है।
आशा जी के पति का शरीर शांत हुआ तो उन्होंने गुरु जी को फोन किया कि मुझे लग रहा है कि
जैसे आपका हाथ मेरे सिर पर है। आप हमारी सभांल कर रहे हैं।
कुछ न करते हुए भी गुरु देव का अनुभव इतना था कि सब कुछ वह जानते थे। आज यहां हम
आपको सब भाग कर आए हैं तो रुपये में तीन अठन्नी मिलती है। तब यहां आकरहैं।
किसी बच्चे से नाम पूछा तो उसने कहा कि मेरा नाम **सतचित आंनद स्वरूप है। हमको भी गुरु
ने जो भगवान् का नाम दिया है, हमको भी उस नाम को सार्थक करना है। केवल अपना ही जीवन
बनाना है। जैसा नाम होता है वैसा ही गुण हमारे अंदर आ जाना चाहिए।
आत्मा और शरीर एक रस हो जाए। जब हमारी उंचे भगवान् से दोस्ती हो गई है तो हमको भी
अपनी रहनी उंची और अच्छी बनानी है। मुट्ठी में जो ताकत है वह अकेले अंगुली में नहीं है। बंद मुट्ठी
में सब सुरक्षित रहेगें।
गेंदे के फूल की तरह सब एक से गुंथे रहें।
यह सत्संग की धरती हमारा मायका है, यहां सबसे प्यार
से मिल जुल कर गुंथे होकर रहें।
गुरु जी कहते हैं कि तुम्हें जानना तो आगया है सब लोग बहुत जान गए है, लेकिन मानना नहीं
आया। यदि तुम मान लोगे तो मानव बन जाओगे।
गुरु पहले दिन हमारे अंदर घुस गया है, हमको सब कुछ सभांलना और धीरज रखना आ जाता है।
हमारे अज्ञान और विकारों की फाइलें सब सतगुरु ने खोला और हमको हमारे स्वरूप में टिकाया
और सब दुखों से उबार दिया है।
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गुरु देव ॐ कहते हैं कि जो तुम्हारे हिस्से का धन जमीन जायदाद होगी वह स्वयं ही मिल जाएगा।
तुम व्यर्थ में घबराते हो।
स्टील में, साड़ी में, कांच में, छत में भी टांका लगाया जाता है, लेकिन हमारे भाग्य में टांका कोई नहीं
लगा सकता है।
गुरुजी के प्यार की इतनी महिमा है कि सारा दिन भी हम लगे रहें, जबान छोटी पड़ जाएगी, हम
महिमा नहीं गा सकते🌹🌹🌹🌹