गुरु जी ने बताया कि
🌻इच्छाओ से खाली हो जाएं, क्योंकि भगवान पाने की इच्छा भी भगवान पाने में रुकावट होती है,,,,,,,,,,।
🌻इच्छा को रोकना भी इच्छा है,,,,,,,,।
🌻गुरु माया का विपरीत रूप दिखाकर हमे इच्छाओ से उपराम कर देते है,,,,,,,,,,,।
🌻आम में कीड़ा देख लेने के बाद वो आम हम नही खाते ऐसे ही जब माया का विपरीत रूप देखने के बाद हम माया में नही अटकते,,,,,,,,,,,,।
🌻इच्छा वो नही की कोई चीज देखी और खाई इच्छा वो है जो चीज ना मिलने से दुख हो,,,,,,,,,,,,,।
🌻ड्रेसेस के साथ चुन्नी , बिंदी, पर्स मैच की सोचते है कभी सोचा है कि मन की भी मैचिंग भी करनी है,,,,मन की मैचिंग है परमात्मा,,,,,,,,,,,।

🌻धोबी के पास सफेद कपड़े धोने के लिए जाते है,,,कपड़े सफेद तो पहले ही होते है, बस धोबी उसके ऊपर की धूल साफ करता है ,
ऐसे ही गुरु जी कहते है कि हम पहले ही आत्म स्वरूप है बस हमारे ऊपर मैं मेरे की , विषय विकारों की जो धूल है गुरु वो साफ करते है,,,,,,,,,,,।
🌻शुक्राने सतगुरु जी के हरि ॐ,,,,,,,,,,,।
दादा श्याम भगवान मीरा भगवान
सबकी प्रकृति एक नहीं हो सकती..जो 12 महीने गुरु के पास आकर रहे..
अगर तुम पुरुष परमात्मा है तो प्रकृति तुम्हारी दासी होनी चाहिए..
अपना पुरुषपना भुला कर तुम प्रकृति के दास बनकर बैठे हो..तो भगवान से नहीं जुड़ सकोगे..एक ने पिरकृति को वश में किया है ..दुसरा प्रकृति का गुलाम बनकर बैठा है..
जब तक प्रकृति से पुरी तरह से नाता नही तोड़ा है..तब तक भगवान से नहीं जुड़ सकते..प्रकृति है ही नहीं. .है हू तु ..ब्रह्न के सिवा कुछ बना ही नही है..
लोकारीत मोह डर ओर इच्छाओं में फंसे इंसान को मन ने ऐसा ढगा है..कि तेरी प्रकृति ऐसी नहीं है कि तु गुरु के साथ रह सके…
पहले विकारों से दुर हटो फिर गुरु तुम्हारे बंघन काटने को ही बैठा है..
मकड़ी की तरह जाल बनाकर उसमें फंसकर चिल्ला रहे हैं..कि हमारी प्रकृति ही ऐसी है कि हम निकल ही नहीं पा रहे..
बेटी मेरी है या तुम्हारी..तन मन घन देकर फिर कंजुस की तरह वापस ले लेते हो..ये मोह है..बनी बनाई बन रही अब कुछ बननी नही..
ऐसा हो ..ऐसा ना हो..ये भी इच्छा है..शुभ ओर अशुभ इच्छा का त्यागी ही मुझे परम प्यारा है..तुम्हारी चिंता किसे क्या होगा ..कल जो पैदा ही नही हुआ है..
उसकी चिंता कर रहे हो..दिल की चटनी बनाकर देखो को तुम्हें पता चलेगा..कि तुम्हारा भविष्य क्या है..भविष्य को बुलंद करने वाला रोशन करने वाला तुम खुद है..
तुम्हारे खोटे एर डर वाले ख्याल हू तुम्हें अंघेरे की तरफ घसीट कर ले जाएगें..
जब तक गुरु को बाहर मानोगे तब तक नरक में ही भटकते रहोगे..अपने सत्ते घर्म में पक्के रहो कि में क्या हुँ..
तो अधी व्यघि उपाघि सभी रोगों ले छुट जाएगें..अंहकार का रोग ही सभी रोगों की जड़ है..ओर ॐ सतगुरु प्रसाद ही सभी रोगों की दवा है..
ये दवा आजमाएगें तो पहले से भी तगड़े हो जाएगें..घीरज मन गा मेरे मन कबुतर..गुरु इंसाफ करने वाला है.. वो अंघे मोह वाली दया नहीं करता है..
इसको तुम कठोर दिल वाला समझते हो..यहीं पाप है..
निराकार पर विश्वास रखो..वो तुम्हें कभी भी नहीं छोड़ेगा..आज के आनंद की जय शुकराना मस्करान दादा का कहना🌿🌹🌿🌹🌿🌹