🌷प्रतिकुलता मैं भी उतना मजा लो जितना अनुकुलता में लेते हो..
शिव जी को विष भी नहीं लगा क्योंकि उन्होंने कंठ तक रखा था..
तुम भी विक्षेपता को कंठ तक रखो..अंदर नहीं जाने दो..आराम से कुर्सी पर बैठे रहो..
🌷मक्खन निकालके थे बिलोते बिलोते छाछ अलग हो जाती थी..
जीवन में मंथन चलता रहता है..तुम सबके साक्षी हो जाओ. विचारों से मिल मत जाओ..बुरे विचारों को बाहर निकाल दो..अंदर मत ले जाओ..
🌷किसी की जाँच करने की बजह अपनी जाँच करो..
ज्ञान जितना भारत में है इतना कहीं नहीं है..
वैभव में भी भारत ऊँचा था पर दुसरों को घुसने दिया को सोने की चिड़िया नहीं रहा..क्योंकि दबा दिया गया..
🌷तुमने अपने अंदर विचारों को भरते भरते भारी कर दिया..
ख्याल आते आते जम गए ओर मैले हो गए..तो क्यों नहीं उनकी सफाई करते रहते..किचन की सफाई रोज करते हो तो चमका रहता है..
लेकिन जो रोज सफाई नहीं करके उनकी शीशियों पर मैल चिपकी रहती है..
धर में भी रोज झाडु लगते हो..चादर झाड़कर बिछाते हो..तो मन के अंदर भी प्रेम से झाडु लगाओ..
परमात्मा को बिठाने के लिए दिल में रोज झाडु लगाओ..गलत विचारों को मत आने दो
🌷घोड़े की लगाम हाथ में नहीं होगी तो घोड़ा आपको गिरा देगा..
चाकु से सब्जी काट लो या हाथ इसमें चाकु का क्या दोष..
🌷अद्वैत का ज्ञान सुनने आए हो तो इपने मन को द्वैत में क्यों डालते हो..अपनी मनोवृतियों को सतसंग में आके साघो..

🌷बच्चों की लगातार बुराई करोगे को बच्चे ओर खराब हो जाएगें
..सबको प्यार से समझाओ..अपने मन को भी प्यार से समझाओ..
तुम मोह के जाल में फंस कर अपना इकरार भुल जाते हो..सबको भगवान देखो..सब भगवान का विराट स्वरुप है..
विराट स्वरुर दिखाते हैं भगवान का तो इधर उधर दर्पण लगा देते हैं..
तो अनंत मुर्तियां दिखती हैं..तस्वीर में सर्प बिच्छु देवी देवता सब दिखाए गए हैं..
यानी भगवान के एक तत्व से सब प्रकट हुए हैं..ये परमात्मा का विराट स्वरुप है..
🌷मेम कौन हुँ ..क्या मन हुँ..क्या बुद्घि हुँ..विचार करोगे तो में गुम हो जाएगी..देहाघ्यास से छुट जाएगे..में एक विचार है..जैसे लकीर खिचते हो बीच में बिंदु बन जाता है..
ऐसे ही पाँच तत्व मिल कर में बन गई
इन तत्वों को अलग कर दो तो में गुम हो जाअगी..अपने को ऐसा तैयार कर लो कि किसी भी स्थिति में कोई असर ना हो..
🌷मेन पावर को भुलाकर तुम अलग अलग स्वीच बन जाते हो..पर जुड़े कहाँ ले हो ये भुल जाते हो..तत्व सब जगह🌹🌹🌹🌹🌹