गुरु जी ने बताया कि
🌿जितना मन के भीतर संसार होगा उतनी ही मन मे पवित्रता आएगी मन में संसार को मत आने दो ।
🌿मन मे संसार को बसाकर हम कभी शांति नही पा सकते ।
🌿” मैं ” की उपस्थिति हमे मन मे संसार भरने में मजबूर करती है ।
🌿जितना संसार मन में होगा उतना ही जीवन बोझमय होगा ।
🌿शरीर को साफ रखने के लिए स्नान करते है ना, ऐसे ही मन को साफ रखने के लिए मन को ज्ञान गंगा में नहलाना होगा ।
🌿जब तक मन इच्छा में पड़ा रहेगा पवित्र नही हो पायेगा ।
🌿किसी भी बात में उलझो नही किसी भी बात का निर्णय लेना है तो तुरंत ले लो ।
🌿फासलें बाहर के नही भीतर के कम करें ।
🌿जैसे शरीर सीमेंट के घर मे सुरक्षित होता है, ऐसे ही मन को भी आत्मा के घर मे सुरक्षित रखें ।
🌿शुक्राने सतगुरु जी के, हरि ॐ ।