नारदजी ने भगवान् से अच्छा रुप मांगा, ताकि लक्ष्मी के स्वयंवर में विवाह कर सके। भगवान् ने कहा कि जिसमें भी तुम्हारी भलाई होगी वैसा रुप दे दूँगा।
परन्तु लक्ष्मी ने नारद की तरफ नहीं देखा और नारायण को वरमाला पहना दिया।
नारदजी ने भगवान् को श्राप दे दिया भगवान् ने उसे भी खुशी से स्वीकार कर लिया।
परमात्मा को मालूम है कि हमारी भलाई किसमें है।
तुम्हारे अंदर ही भगवान् छिपा है, और शैतान भी छिपा है।
गुरु तुम्हारे अंदर से भगवान् को ढूंढ कर प्रगट कर देता है।
कभी कोई परिस्थिति आए तो घबराना नहीं, परमात्मा की शरण में आ जाओगे तो बच जाओगे, सुरक्षित रहोगे।
बाग में जैसे कोयल छिप कर बोलती है, और बहुत आंनद देती है।
इसतरह परमात्मा की आवाज भी बहुत मीठी और अच्छी होती है।
ख्यालों की वजह से तुम परेशान हो रहे हो।
हर बार भगवान का शुकराना करो || Pramila bhagwan ki vaani ||
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ख्यालों को तुम अंदर मत ले जाओ। जो वस्तु तुम्हारे जरूरत की होगी, वह तुरंत ही मिल जाएगी। अपने को खाली कर दो। तन से, मन से, बुद्धि से खाली कर दो।
गुरु की मति से अपनी मति मिला दो। मै का पर्दा हटा दो, मैं आएगी तो सुख, आंनद, शांति खत्म हो जाएगी। गुरु तुम्हारा दिलबर है, भगवान् को दिल में बैठा लो,
तुम दुनिया वालों को जगह देते हो तो परेशान होते रहते हैं।
दिल में यदि भगवान् को रखोगे तो माया की बातें अपने आप निकल जाएगी।

तुम अकरता भाव में आजाओ, न करता न भरता न मरता।
जितना ज्ञान इस भारत में है उतना ज्ञान किसी अन्य देश में नहीं है यहाँ इतने बड़े और अच्छे साधू संत हैं किसी भी देश में नहीं है।
तुम कितने भाग्यशाली हो कि तुमने भारत में जन्म लिया है।
माया नर्तकी है सारी जिंदगी नचाती ही रहती है।
उसका उल्टा कर दो और कीर्तन में लग जाओ। हम सब भी माया में मुरझा ग ए थे, गुरु के ज्ञान का पानी जब मिल जाता है तो चेहरा खिल जाता है।
अपने अहंकार को पहले पीसो तब तुम्हारे जीवन में स्वाद और आनंद आएगा। हरिओम शांति शांति शांति हरिओम 🌿🌹🌿🌹🌿🌹