गुरु जी ने बताया कि
🌾मन अशांत क्यों हुआ ?, क्योंकि जैसे शांत पानी मे कंकड़ फेंकते है तो पानी अस्त व्यस्त हो जाता है, ऐसे ही मन मे बाहर से विचारों के कंकड़ आ जाते है तभी मन अशांत हो जाता है ।
🌾जैसे घर की रखवाली करते है कि चोर ना आ जाये ऐसे ही मन की भी रखवाली करनी है कि कोई गलत विचार मन मे ना आ जाएं ।
🌾एक होता है हकीकी इश्क़, एक होता है मिजाजी इश्क ,मिजाजी संसार का इश्क, मौसम के साथ बदलता है, हकीकी इश्क़ परमात्मा का इश्क है सदैव रहने वाला
🌾इच्छाओ को कामनाओ को खत्म करें ये संसार छोड़ने में दिक्कत करती है ।
🌾संसार खुद अधूरा है, प्यासा है हमे क्या पूर्ण बनाएगा ,हमारी प्यास क्या बुझायेगा ।
🌾परमात्मा पूर्ण है तभी हमें भी पूर्ण बनाते है ।
🌾अभ्यास और वैराग्य से भगवान मिलते है ,,,,पहले मन को शरीर से अलग करें फिर संसार से अलग अपने आप हो जाएंगे ।
🌾शुक्राने सतगुरु जी के , हरि ॐ